उपहार GIFT (हिन्दी कहानी)


                                  उपहार [Hindi Story]


                           
नंदन नगर में  एक  राजा  रहता था।  राजा का महल बडा़  ही

आलीशान  था, नगर का हर आदमी राजा के महल  को पास

से देखना  चाहता था।  नंदन  नगर में  एक  दीनू नाम  का 

बेहद निर्धन  व्यकित अपनी पत्नी  के साथ झोपड़ी में  रहता

था।


एक  दिन  दीनू ने सुना कि राजा नगर में

 मुनादी (announce) करवा रहे है कि " राजकुमार  का

जन्मदिन हैं, आप सभी नगरवासी  राजमहल में  पधार  कर

राजकुमार  को अपना आशीर्वाद  दें "। 



दीनू ने  जब यह खबर सुनी तो उसने अपनी पत्नी  से  कहा 

कि मैं  भी राजकुमार  के  जन्मदिन में  जाना  चाहता हूँ। 

यह सुनते ही पत्नी ने कहा तुम  महल में  कैसे  जा

सकते हो, तुम्हारे  पास तो पहनने को अच्छे कपड़े भी

नहीं  है, और न राजकुमार को 'उपहार' में  देने  के लिए 

अपने पास कुछ हैं। दीनू  कुछ पल के लिए  उदास हो गया 

लेकिन  उसे तो महल देखना था। सो उसने अपनी पत्नी से 

कहा ' अपने पास जितना भी आटा है, तुम उसकी  रोटियाँ 

बना देना, मैं राजकुमार  को  उपहार  में  'रोटियाँ ' ही दे दूँगा'



अगले दिन सुबह से ही दीनू  नहा-धोकर  तैयार  हो  गया। 

उसकी पत्नी  ने  घर में  रखें  सारे आटे की रोटियाँ  बना दी

जो कुल पांच (5) थी। दीनू  ने एक पोटली में  रोटियाँ  बाँधी 

और खुशी-खुशी  महल देखने निकल  पड़ा। दीनू महल में 

जाने के लिये  बडा़  ही उत्साहित  था। चलते-चलते दीनू को

रास्ते  में  एक गाय दिखाई दी जो भूख के कारण बहुत ही

कमजोर  हो  गई  थी  और अपने बछड़े  को  दूध भी नहीं 

पिला  पा रही थी। गाय की ऐसी दशा देखकर  दीनू को

बहुत दया आई और उसने अपनी पोटली में  से 1 रोटियाँ 

निकलकर गाय को  खिला दी और आगे बढ़  गया।





चलते-चलते  दीनू  को एक कचरे के  ढेर पर  एक अत्यंत 

कमजोर  सा कुता  दिखाई दिया जो कि  कचरे के  ढेर  में 

भोजन  तलाश रहा था।  दीनू ने जब उस कुत्ते  की  ऐसी

दशा देखी तो उसे कुत्तेको भी  1 रोटी खिला दी। दीनू  ने देखा

कि उसके पास अब केवल  3 रोटियाँ  बची हैं। 

दीनू  ने  अपनी पोटली  संभली और फिर चल पड़ा महल

की ओर। वह जल्दी से  जल्दी  महल पहुँचना  चाहता था।

दीनू  महल के करीब ही था  तभी उसकी नजर सड़क  के 

किनारे बैठे एक बुजुर्ग  भिखारी पर पड़ी  जो भूख से 

व्याकुल हो  रहा था। दीनू ने सोचा अगर मैं  यह रोटियाँ 

भी भिखारी को दे दूँगा  तो, राजकुमार  को 'उपहार' में 

क्या  दूँगा? उसने पोटली में  देखा तो उसके पास अब

3 रोटियाँ  बची थी। दीनू ने सोच-विचार के  बाद  2 

रोटियाँ  बुजुर्ग भिखारी  को दे दी, भिखारी  ने ढेर सारी

दुआएं  दी दीनू को।  दीनू  ने पोटली में  देखा तो अब 

उसके पास  केवल 1 रोटी  बची थी, उसने उस रोटी को

अपनी फटी धोती में  छुपा ली।






दीनू  पहुँच  गया महल के  करीब ही  दूर से ही महल की

भव्यता  दिखाई दे रही थी।  दीनू  एक पल तो हिम्मत  ही

नहीं  कर पाया, महल मे जाने की। दीनू  ने हिम्मत  जुटाकर

महल में  प्रवेश किया तो, महल के पहरेदारो ने फटे कपड़े  

और पैर में  लगे कीचड़  को देखकर  महल के  अंदर जाने से

रोक लिया। दीनू पहरेदारो से अंदर जाने देने की विनती करने

लगा, शोर सुनकर राजा स्वयम  बाहर आये और सारी बात 

जानकर उनहोंने  दीनू को अंदर बुलाया। दीनू ने  जब महल

को देखा तो देखता ही रह गया। अपने नंगे पैरों  पर  लगे

कीचड़  से उसे मखमल के  कालीन पर चलने में  बडा़  ही

 संकोच  हो रहा था।






दीनू जब महल के  अंदर पहुंचा  तो  उसने देखा सोने के

सिंहासन  में  राजकुमार  बैठे हुए हैं  और राजा साहब भी

सोने की सिंहासन  पर बैठे  हुए हैं। महल में  अनेक  गण-

मान्य  नागरिक  बैठे हुए थे, सुन्दर -सुन्दर  कपड़े  पहने हुए

थे। दीनू को अपने फटे कपड़े  कच देखकर एक कोने में 

छुप कर खड़ा  हो गया। 





अब समय आया लोग राजकुमार  को आशीर्वाद  के साथ

बेशकीमती  उपहार भेंट  करने लगें।  कोई सोने की वस्तु 

आया था, कोई हीरा जड़ा  गहना, कोई  मोती, पन्ना, चाँदी

तो कोई  कीमती  वस्त्र  आया था राजकुमार  के  लिए ।

जब सब ने राजकुमार  को  'उपहार 'दे दिया तो राजा की

नजर दीनू पर पड़ी ,जो दुबका हुआ खड़ा  था और  हाथ 

में  कुछ छुपा रहा  था। राजा ने दीनू को पास बुलाया और

पूछा-' क्या  नाम है तुम्हारा? और तुम राजकुमार  के  लिए 

क्या  'उपहार ' क्या  लाए हो?

राजा के  बुलाने पर दीनू राजा के करीब  आया और उसने

अपना बताया -' हमाराज मेरा नाम  दीनू हैं  और मैं  बहुत 

ही गरीब हूँ, मेरे पास राजकुमार  को  'उपहार' में  देने के

लिए  कुछ भक नहीं  हैं। ऐसा कह कर दीनू अपने हाथ को

पीछे करके  रोटी छुपाने लगा ।राजा ने  देख लिया तो दीनू

से पूछा ' तुम हम से क्या  छुपा  हे हो? राजा के पूछने पर

दीनू ने  अपने हाथ में  रखी 1 रोटी  दिखाते हुए राजा को 

सारी बात बता दी कि किस तरह उसने राजकुमार  के  लिए 

'उपहार' में  अपने घर से 5 रोटियाँ  बनवा कर लाया  था,

और वह रोटियाँ  उसने ज़रूरतमंदों  को  बाँट  दी और अब

राजकुमार के  लिए  केवल  एक रोटी ही बची हैं, तो मुझे 

'उपहार ' में  1 रोटी देने में  शर्म  आ रही हैं,  सभी लोगों 

ने बेशकीमती  उपहार दिये हैं, इसलिये  मैं  रोटी  को आपसे

छुपा रहा था। 





राजा  ने जब दीनू की सारी बात सुनी तो , वे दीनू  की 

दरियादिली पर बेहद प्रसन्न  हुए  और उन्होंने  दीनू से

कहा जाओ  तुम राजकुमार  को यह 1 रोटी देकर आओ

यह अब तक का सबसे  अनमोल  'उपहार' हैं  हमारे लिये।

दीनू ने खुश होते  हुए राजकुमार  को  1रोटी भेंट  की 

और ढेर सारा आशीर्वाद  दिया।





राजा ने दीनू की महानता की बहुत 

तारीफ की  और दीनू को न सिर्फ  ढेर

सारा धन इनाम में  दिया बल्कि  दीनू को

अपने दरबार में  मंत्री पद भी दे दिया।





सीख:-  हमें  दूसरों  की देखा-देखी दिखावा

नहीं  करना चाहिए।  जितनी अपनी चादर वो उतनि ही पैर

फैलना चाहिये।  अपनी  हैसीयत के  अनुसार ही लेन-देन

करना चाहिए क्योकि दिखावा करने से कोई लाभ नहीं 

होता हैं। 



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