हिन्दी मीडियम
हिन्दी मीडियम
मैं हिन्दी साहित्य में एम,बी.एड पास हूँ। मैं अच्छे स्कूल में काम
करना चाहती हूँ, और इसके लिए मैंने बहुत प्रयास भी किया।
जहाँ भी अच्छा स्कूल दिखता मैं बढ़िय सा रिजूयम बना कर पहुँच
जाती हूँ, इस उम्मीद से की मुझे बढ़िया से स्कूल में अच्छी सी
नौकरी मिल जाएगी और मैं पूरी ईमानदारी और लगन से बच्चो
को हिन्दी पढाऊगी।
मैं जिस भी स्कूल में जाती हूँ, मैं बताती हूँ मुझे 1-12 कक्षा को
हिन्दी पढाने का अनुभव है,फिर मेरा रिजूयम देखा जाता हैं, फिर
एक घूरती नजर से मेरे रिजूयम पर डाली जाती हैं, और मेरी
डबल एम.ए,बी.एड की डिग्री को नजरअंदाज करके पूछा जाता
हैं 'आपका हिन्दी मीडियम है '। बस साहब हम समझ जाते हैं कि
फिर गई भैंस पानी में ' हमने हिन्दी मीडियम से एम.ए हिन्दी
साहित्य में किया हैं, तो हम हिन्दी कैसे पढ़ा सकते हैं, इंग्लिश
मीडियम स्कूल में ?
खैर ,फिर भी हम अपनी उथल-पुथल को रोककर कहते हैं-जी
बिना समय गँवाए सामने से हमें जबाब मिलता हैं-मैडम यह
English medium school हैं हम CBSE से पास को ही
लेते हैं,और वैसे भी अभी Vacancy नहीं हैं।
हम टूटे दिल को संभलते हुए मुस्कुराते हुए कहते हैं-ठीक हैं
बाहर आते ही यह'बेशर्म आँसू हमारी आँखो को गीला जरूर कर देते हैं, और हम न चाहते हुए भी अपने माता-पिता को कोसने लगते हैं, क्यू ? हमें हिन्दी मीडियम से पढ़ाया ? फिर अपने आप को सामान्य करते हुए घर जाते हैं और सोचते अब नही करेंगे नौकरी।
हिन्दी पढ़ाने के लिए भी English जरूरी हैं ? हम तो फालतू
एम.ए हिन्दी साहित्य में कर बैठे, इससे अच्छा तो अनपढ़ होते।
नहीं-नहीं हमारा 'हिन्दी मीडियम' का ज्ञान और डिग्री तो दिलाता हैं, मगर नौकरी नहीं। मगर हम भी हार नहीं मानते और हर बार वही 'हिन्दी मीडियम ' हमें बेरोजगार ही रहने देती हैं।
क्या ? हिन्दी मीडियम से पढ़ना हमारी गलती है ? या हमें अधिकार ही नहीं हैं हिन्दी शिक्षक बनने का,तो क्या ? हुआ हम काबिल हो, ईमानदारी से पढाने वाले हो,मगर जनाब ईमानदारी
की परवाह किसे हैं, सब गुलाम हैं 'English 'के।
हाँ एक बात और हमें छोटे से स्कूल में नौकरी मिल रही हैं, जहां
7 घंटे के काम के लिए हमारा वेतन "1500 रूपये होगा, मगर
हम नहीं गये वहाँ, गाड़ी से जाने में पेट्रोल 2000 का लग जाताहै।
फिर हम से अच्छा तो मजदूर हैं, जो 200 रूपये दिन कमाता हैं।
क्या हिन्दी मीडियम से पढ़ना हमारी गलती है ?
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